जब पड़ोसी को सिलेंडर दिया

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गरीबी भी सोलवहें साल की पहली मोहब्बत की तरह होती है जो उम्र भर पीछा नहीं छोड़तीI मेरा पीछा ना तो पहली मोहब्बत ने छोड़ा और ना ही गरीबी नेI जवानी के दिनों का उबाल मारता इश्क़ आज रसोईघर में झमाझम बर्तन पटक रहा हैI रेडियो पर गाना बज रहा है, छोटा सा घर है ये मगर ...और मेरी नज़र अचानक ही अपने छोटे से घर के चारों कोनों में बने मकड़ी के जालों पर जाकर ठहर गईI कल तो यहाँ पर जाला नहीं था शायद गानें की लय पर मकड़ी थिरक उठी होI पर गाने की दूसरी लाईन की तरह