तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 4

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......उन्हे आज भी याद है वो दिन, वो तारीख। इलहाबाद मेडिकल काॅलेज में वो हाउस जाब कर रहे थे..... रात दिन की ड्यूटी। ऐसे में पोस्टमैन जब वह पत्र देकर गया तो उन्होंने बिना खोले ही उसे टेबल पर रख दिया था। इतनी व्यस्तता रहती थी कि दिमाग ने ये सोचने की जहमत भी नहीं उठाई..... कि लिफाफे में लिखा नाम ’अपराजिता राव’ कौन है भला।