तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 5

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अपराजिता जी नमस्कार। आपका पत्र मिला, विलम्ब के लिए माफी चाहता हूॅँ। पत्र पढ़ के काफी हर्ष हुआ यह जान के खुशी भी हुई कि जिसे हम अच्छी तरह जानते न हो..... उसपे मेरा इतना प्रभाव पड़ सकता है। आपका पत्र पढ़ के तो कोई भी प्रभावित हो जायेगा। मैं तो जरूर आपकी खुशी चाहूॅँगा..... इसलिए आपको पत्र लिख रहा हूॅँ। हिन्दी में मै बहुत कम पत्र लिखता हूॅँं इसलिए पत्र में गलती होगी तो माफ कीजिएगा।