पिछली सदी की पोटली

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सल्तनत तेज़ी से कदम बढ़ाती हुई चल रही थी। उसे पांच बजकर नौ मिनट तक हर हालत में घर पहुंचना था, क्योंकि गजराज ठीक पांच दस पर उसे बधाई देने वाला था। बधाई दे, रोए, फातिहा पढ़े, अलबत्ता वह उससे बात करने वाला था।त्रिवेणी के पीछे से लंबवत पूर्व की ओर जाने वाली सड़क पर नौ किलोमीटर दूर उसका फ्लैट था। सातवीं मंज़िल, सी साइड, अफसाना बिल्डिंग। पते से लगता था जैसे ये मुंबई शहर का कोई इलाका होगा, परन्तु अपनी नाम-गंध से इतर ये दिल्ली की ही बस्ती थी।वह अपने इस घर से तकरीबन बावन किलोमीटर की दूरी पर