खत्म हुआ इंतज़ार

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गर्म रेत पर चलते चलते मेरे पैरों में छाले पड़ने लगे थे। लेकिन मैं रुक भी नहीं सकती थी क्योंकि मैंने अपने आप से वादा किया था। मुझे चलते रहना है तब तक, जब तक मैं अपनी मंजिल तक ना पहुंच जाऊं। हर कदम मैं इस उम्मीद पर आगे बढ़ाती कि शायद अब यह गर्म रेत बर्फ में तब्दील होकर मेरे पैरों को ठंडक देगी। लेकिन मेरी यह उम्मीद टूट जाती है। पिछले एक साल से ये ही होता आ रहा था!!अनिल जब मुझे देखने आए तो उन्होंने पहली ही नजर में मुझे पसंद कर लिया। अनिल चाहते थे कि