शूद्रक के प्रसिद्ध संस्कृत नाटक “मृच्छकटिकूम्” ने मुझे हमेशा से ही आकर्षित किया है। इस नाटक के पात्र, घटनाएं और परिस्थितियां हमेशा से ही ऐसी लगी है कि मानो ये सब आज की घटनाएं हो। राजनीतिक परिस्थितियां निर्धन नायक, धनवान नायिका, राजा, क्रांति, कुलवधू, नगरवधू और सम्पूर्ण कथानक पढ़ने में मनोहारी, आकर्षक तो है ही, आन्नद के साथ विचार बिन्दु भी देता है। इसी कारण संस्कृत नाटकों में इसका एक विशेष महत्व है।