अपनी अपनी मरीचिका - 13

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आज तृतीय वर्ष एम.बी.बी.एस. की परीक्षाएँ समाप्त हुई हैं। लिखित परीक्षाएँ, और प्रायोगिक परीक्षाएँ सभी अच्छी हुई हैं। मुझे विश्वास है कि इस वर्ष कक्षा में स्थिति और भी सुधरनी चाहिए। तेज रफ्तार से दौड़ता समय इस वर्ष घटनाओं के जाल में फँसाकर मुझे पढाई से विरक्त और विमुख करने पर पूरी तरह आमादा था। यदि उद्‌देश्य की मशाल बहुत ज्वलनशील नहीं होती तो इस बात की पूरी संभावना थी कि मैं इस जाल में फँस जाता।