92 गर्ल फ्रेंड्स - 1

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आत्मकथ्य आज पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर हमारा युवावर्ग दिग्भ्रमित होकर अपनी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को भूलता जा रहा है। आज नारी को सिर्फ विषय भोग की वस्तु समझा जाने लगा है। आज की नारी भी इस प्रभाव से अछूती नही है और अपनी किसी परिस्थिति या प्रलोभनों के कारण अपनी मर्यादाओं को भी पार करने लगी है। इस पुस्तक में हमने इस कटु सत्य की प्रस्तुति करने का प्रयास किया है। इस कृति को बनाने में श्री जसपाल ओबेराय, श्री अंशुमान शुक्ला, श्री श्याम सुंदर जेठा एवं श्री देवेन्द्र राठौर का अमूल्य सहयोग प्राप्त होता रहा