अच्छाईयां – २४

  • 3.9k
  • 1.6k

भाग – २४ सूरजने दोपहर तक तो सब दोस्तों को फोन से बात कर ली थी | उस टेलीफोन बूथवाले को बता भी दिया था की मैं रात को ग्यारह बजे कोल करने आऊंगा अपनी दूकान खुली रखना | मोबाइल तो अभी कुछ लोगो के पास ही दिखाई देने लगा था | ज्यादातर लोग लेंडलाइन पर ही निर्भर थे, इसलिए उसवक्त सड़क पे रखे गए ऐसे बूथ पे भी भीड़ रहती थी | ‘फोरेन कोल है ?’ उस बूथवाले को पता था की रात को देर से होनेवाले कोल्स परदेश के होते थे और उसवक्त रात को किये जानेवाले कोल्स