फिर फिर

  • 1.9k
  • 688

स्वप्न इतना डरावना तो नही था, किन्तु न जाने कैसे वृन्दा पसीने से तर-ब-तर हो गई । गला सूख गया था उसका । आजकल अक्सर ऐसा होता है । स्वप्न देखना नही, स्वप्न से डरना । यद्यपि वह इन मान्यताओं को नहीं मानती कि स्वप्न किसी शुभ-अशुभ फल को लेकर आता है, पर पता नहीं क्यों आजकल वह उस कलेंडर की तलाश में रहने लगी है जिसमें स्वप्न के शुभाशुभ फल दिये रहते हैं । क्या करे ? सहेलियां डरा जो देती हैं उसे ।