सिर्फ हमारे लिए

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आज भी वही फूलों की खुशबू, नीली रोशनी और उसी छः बाई छः के बेड पर हम दोनों, बीच में पसरी खामोशी.. सब कुछ वैसा ही, पैंतीस साल पहले की तरह... तब अनछुए अहसासों को छूने का प्रयास करती हुई.. मैं इंतज़ार में थी कि तुम मेरा घूँघट उठाओ.. नितान्त अजनबी फिर भी अपनापन महसूसती हुई मैं खुद में ही सिमट रही थी.. और तुम्हारे उद्दात्त प्रेम को महसूस कर रही थी । आज... आज हम एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जान गए हैं... आज भी तुम मुझसे और मैं तुमसे अटूट प्रेम करते हैं..