पल जो यूँ गुज़रे - 1

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अपना आखिरी पीरियड लगाने के बाद जैसे ही निर्मल ने डिपार्टमेंट से बाहर कदम बढ़ाये कि उसका सामना बेमौसम की बारिश की हल्की—हल्की बूँदों से हुआ। इसकी परवाह किये बिना कि हॉस्टल तक पहुँचते—पहुँचते भीग जायेगा, वह वहाँ से चल पड़ा। हॉस्टल तक चाहे रास्ता अधिक न था, किन्तु बूँदाबाँदी एकाएक तेज़ बौछारों में बदल गयी। रास्ते में रुक तो सकता था, किन्तु सर्दी की बरसात कितनी देर तक चले, कुछ कहा नहीं जा सकता, यही सोचकर निर्मल बिना रुके चलता रहा और इस प्रकार हॉस्टल के पोर्च तक पहुँचते—पहुँचते वह पूरी तरह भीग गया। फरवरी के अन्तिम दिनों में सामान्यतः मौसम इतना ठंडा नहीं रहता, किन्तु बरसात की वजह से ठंडक बढ़ गयी थी।