पल जो यूँ गुज़रे - 5

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जिस दिन निर्मल घर वापस आया, दोपहर में सोने के बाद माँ को कहकर जितेन्द्र से मिलने के लिये जाने लगा तो सावित्री ने उसे बताया — ‘मैं बन्टु के साथ जाकर जितेन्द्र की बहू को मुँह दिखाई का शगुन दे आई थी। अब तो तूने कल चण्डीगढ़ जाना है, जब अगली बार आयेगा तो उनको खाने पर बुला लेंगे। और हाँ, जल्दी वापस आ जाना, क्योंकि तेरे पापा दुकान से आने के बाद तेरे साथ कुछ सलाह—मशविरा करना चाहते हैं।'