खुशियों की आहट - 7

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अगले दिन शाम के छह बजे के आसपास मोहित क्रिकेट खेलने जाने के लिए तैयार हो ही रहा था कि दरवाज़े की घंटी बजी. कुछ पल बाद दरवाज़ा खोलने की आवाज़ आई. 'कौन हो सकता है?' मोहित के मन में सवाल उभरा. तभी उसे पापा की आवाज़ सुनाई दी. 'पापा! इस समय!' वह चौंक पड़ा. अपने कमरे से बाहर निकलकर वह ड्राइंगरुम में आया. सिर्फ़ पापा ही नहीं मम्मी भी थीं. पापा ने एक डिब्बा पकड़ा हुआ था. मोहित उन दोनों की तरफ़ बढ़ने लगा.