उर्फ देवीजी

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सिकुड़ी चमड़ी वाली लंबी-चौड़ी हथेली एक छोटे से गोल मुंह पर है। थोड़ी गंध से भरी महकती। फिर दूध-सी सफेद आंखों की आकर्षक पुतलियों की मासूमियत में थोड़ा डर भी मिल गया। पीछे देखा तो सारे बच्चे जा चुके हैं और लाली अकेली पड़ गई है। वह रोना चाह रही है। उसके चेहरे के ïïठीक सामने एक काली-कलूटी, डरावनी शक्ल है। आठ साल की लाली पहली बार ‘पगली’ को इतने करीब से देख रही है। पगली सलाखों के पीछे है।