रिश्ता प्यार का

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“घर में अकेले परेशान हो जाती हूँ | न आस न पड़ोस | न नाते रिश्तेदार |”“सुबह-शाम तो मैं रहता ही हूँ न !”“हुह ..सुबह जल्दी भागते हो और देर से लौटते हो ..!” थकी-थकी-सी जिन्दगी घिसट रही थी मधु की | धीरे-धीरे डिप्रेशन की शिकार होने लगी थी | एक दिन हरीश को जाने क्या सूझी, एक पिल्ला उठा लाये घर में | मधु ने पिल्ला देखते ही पूरा घर सिर पर उठा लिया | “अब बुढ़ापे में इसकी भी सेवा करनी होगी !”“अरे ! यह तुम्हारा मुँह-बोलारो रहेगा | घर में अकेले समय कटता नहीं था न तुम्हारा, इसलिए इसे