नर्मदे हर

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नदी के शांत और निर्द्वंद बहते पानी पर से अभी – अभी सिंदूरी रंग उतरा है और अब नदी के पानी में धूप की सुनहरी परतें झिलमिला रही हैं. चैत के महीने में धूप अभी से चटख हो रही है. वैसे यहाँ की सुबह अल भुनसारे ही शुरू हो जाती है. सुबह चार बजे जब बड़े मंदिर के पुजारी नर्मदा में डूबकी लगाकर नर्मदे हर....नर्मदे हर.....मंदिर की ओर बढ़ते हैं, तब तक यहाँ के बाकी लोग भी जाग चुके होते हैं. फिर तो डूबकियों का सिलसिला देर तक चलता रहता और नाव – डोंगे खेने वालों का भी. कई श्रद्धालु डूबकियां लगाकर लौट चुके तो कई अब भी स्नान कर रहे हैं. नर्मदा के बीच धार में नाभिकुंड से तीर्थ यात्रियों को दर्शन करवाकर तीसरी मोटर बोट भी लौट रही है.