आखर चौरासी - 9

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हरनाम सिंह जब डॉक्टर जगीर सिंह के दवाखाने के सामने से गुजरे तो उनकी नज़रें स्वतः ही खिड़की की ओर मुड़ गईं। बल्ब की पीली रोशनी में जगीर सिंह अपने टेबल पर झुके कुछ पढ़ रहे थे। दवाखाने में कोई मरीज नहीं था। एक पल को हरनाम सिंह ने कुछ सोचा फिर सीढ़ियाँ चढ़ कर दवाखाने में दाखिल हो गए। ‘‘सतश्रीअकाल डॉक्टर सा’ब !’’ जगीर सिंह का ध्यान भंग हुआ, उन्होंने सर उठाया। हरनाम सिंह को देख कर एक मुस्कान उनके चेहरे पर खिल आई। ‘‘सतश्रीअकाल हरनाम भाई जी, आइए-आइए कैसे हैं। तबीयत तो ठीक है ?’’ जगीर सिंह ने उनका स्वागत किया।