और फिर क्या?

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“आखें बंद कर के देखोगे तो अँधेरा ही दिखाई देगा.” विजय ने झुंझलाते हुए ऊंची आवाज़ में कहा. सुधाकर बड़े भाई की बात सुनते ही क्रोध से भर उठा. उसे हर किसी का सुझाव देना नहीं भाता था. लेकिन विजय का हर वाक्य उसे सोचने पर मजबूर भी कर रहा था. जब क्रोध कुछ शांत हुआ तो उसने सोचना शुरू किया. “आखिर कमी क्या है? सभी कुछ तो ठीक ठाक था फिर ये क्या हो गया? क्यों मधु ही इतनी जिद्दी हो गयी हैं? अब जब सारी समस्याएं सुलझ गयी हैं. मधु की माँ भी इस रिश्ते के लिए राजी हो गयी हैं. खुद मेरे परिवार में विरोध ख़त्म हो गया है. तब फिर मधु का यह बर्ताव …..”