चाकर राखो जी...

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चारू तुम भी आ रही हो न हमारे साथ ---!’’ लंच ब्रेक में उसकी मेज की ओर आती हुई मालती ने पूछा था ‘‘कहां भाई.......?’’ उठते हुए पूछा उसने ‘‘ल्यो...... इनको कुछ खबर ही नहीं रहती - अरे भई, इस बार अपनी गैंग ने कुल्लू का दशहरा देखने का प्लान किया है--- अभय का कन्फर्म था तो लगा तू भी साथ होगी ---’’ ‘‘माने ---?’’ उसने त्योरी चढ़ायी -- ‘‘अभय का कन्फर्म था, तो मेरा कैसे हो गया.....। ’’ ‘‘तू........उससे अलग है क्या ---’’ ‘‘फिलहाल अलग ही हूं ---’’ ‘‘मूड क्यों खराब है देवीजी का --- साथ नही आना चाहती --- प्रायवेसी चाहिए, तो ठीक है --- पर बता तो दो तुम दोनो कहां जा रहे हो --- ?