चहुँ और प्रेम

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रात में सोते हुए जागने की बीमारी है मुझे। बरसते पानी की ‘टप्प टप्प‘ ध्वनि के बावजूद जब अहाते के बाहरी दरवाजे की कुण्डी खड़की, तो मेरी नींद टूट गई। दो जोड़ी पैर बैठक के दरवाजे तक आते महसूस किए मैंने।अगले ही क्षण दरवाजे पर दस्तक थी–खट खट ! किवाड़ कीे झिरी से आंख लगाई तो चौंका, ठीक सामने पानी से सराबोर किशोर दा का चेहरा था,