द टाइम्स ऑफ इशरत (पत्र शैली)

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मैं रमिया बिहाऱ प्रवास के दौरान दोस्तो को पत्र लिखता रहता था क्योंकि तब मोबाइल की सुविधा नही थी। यह आपको विचित्र लग सकता है कि मैं अपनेपत्र अक्सर अखबार के रूप में लिखता था। इस अखबार का नाम भी रख लिया था, 'द टाइम्स आफ इशरत'। एक पत्र आप को दिखाता हूँ, जो रबाब अहमद के नाम है। उन दिनो जिन्दगी में जो ज्वार-भाटा सा उतार-चढ़ाव हो रहा था। उसमें बहुत हद तक रबाब अहमद की भी सहभागिता थी। _________________________________________ 09 सितंबर 1996 ईस्वी रनिया बेहड़, से प्रकाशित। (( संपादकीय)) वह सबक जो दुनिया