आखर चौरासी - 14

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रामप्रसाद ने गुरनाम को आते देखा तो बुरी तरह चौंका, मगर तभी साथ आते जगदीश को देख कर वह कुछ आश्वस्त हुआ। जगदीश को वह अच्छी तरह जानता था। अधेड़ उम्र रामप्रसाद के सर के सारे बाल भले ही सफेद हो चुके थे, मगर शरीर से अभी भी वह बड़ा फुर्तीला था। उसने मुस्करा कर दोनों का स्वागत किया। ‘‘प्रसाद जी चाय पिलाइए।’’ जगदीश होटल के अंदर जाने की जगह वहीं भट्ठी के पास खड़ा हो गया। गुरनाम भी होटल के भीतर न जा कर वहीं आ गया। चाय पीते जगदीश ने चौक पर चारों ओर नजरें दौड़ाईं।