आखर चौरासी - 36

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विक्की के चले जाने से उस शाम गुरनाम अकेला था। वह अपने घर के गेट पर खड़ा यूँ ही सड़क पर आने-जाने वालों को देख रहा था। तभी उसने देखा बाजार से लौट रहे अम्बिका पाण्डे के हाथ में सब्जी से भरा थैला था। न जाने क्यों उन्हें देख कर गुरनाम को खुशी सी अनुभव हुई। गेट खोल कर उसने उनका अभिवादन किया और बोला, ‘‘लाइये अंकल, मैं पहुँचा देता हूँ।’’ ‘‘अरे, अरे कोई बात नहीं। अब तो घर आ गया।’’ अम्बिका पाण्डे ने मुस्करा कर कहा। परन्तु फिर भी जिद करके गुरनाम ने उनके हाथों से थैला ले लिया। आगे-आगे अम्बिका पाण्डे और पीछे-पीछे थैला पकड़े गुरनाम ने उनके घर में प्रवेश किया।