आखर चौरासी - 37

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सतनाम बताए जा रहा था, ‘‘वैसे हालात में आस-पडोस के बाकी लोग तो तमाशबीन बने चुपचाप रहे, लेकिन पड़ोस में रहने वाला वह गबरु नौजवान लड़का अपने घर से निकल आया। उसके हाथ में लोहे का एक रॉड था। बताने वाले तो कहते हैं कि अन्याय का विरोध करने की, वही उस नौजवान की भूल थी। उसे भी और लोगों की तरह ही चुपचाप अपने घर पर बैठे रहना चाहिए था या फिर लूटने वालों के साथ मिल कर शोक का जश्न मानना चाहिए था। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है....!