मेरा क्या कसूर

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फ्री पीरियड में कॉलेज लाइब्रेरी में बैठकर किताबें पढ़ना मेरा प्रिय शगल है। आज एक पत्रिका में कहानी पढ़कर मैं सिहर उठी। बहुत ही सुंदर शैली में लिखी कहानी थी, किन्तु उसका अंत एकदम अप्रत्याशित था। क्या वाकई माँ बनने की नारी की लालसा उसे किसी अन्य पुरुष से संसर्ग हेतु बाध्य कर सकती है? यह सही है कि मातृत्व ही नारी को पूर्णता प्रदान करता है, किन्तु सन्तान का होना या न होना सिर्फ नारी की जवाबदारी तो नहीं... फिर भी बाँझपन का कलंक क्यों सिर्फ उसके खाते में जाता है और अपने