जीनी का रहस्यमय जन्म (लोभ) - 3

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दो सदियों के पश्चात ये चिराग़ एक चरवाहे के हाथ लगा ये चरवहा नगर के लोगों की भेड़ बकरियों को जंगल में चरवता और दिन भर की कड़ी मशकत कर दो पैसे कमाता उसको मिलने वाली राशि से वो अपने परिवार का पेट भर पोषण करवाने में भी असफल रहता किंतु इतनी कठिन परिस्थितियों में भी वो धेर्ये और संतोष के साथ ईश्वर का आभार व्यक्त करता यहाँ तक कि उसकी निष्ठा लग्न और आस्था का लोग उधारण देते ऐसे व्यक्ति को ऐसा तिलिस्मि चिराग़ मिलना किसी इश्वरिये चमत्कार से कम नहीं था चरवाहे को लगा जैसे उसकी कठिन तपस्या और