सर्दियों की कुनकुनी धूप मुझे शुरू से ही बहुत पसंद है। रोज़ दोपहर को सोसाइटी के लॉन में बैठकर धूप सेंकना मेरा प्रिय शगल रहा है, बरसों से। कोई किताब पढ़ते हुए दोपहर गुजर जाती है। समीर के ऑफिस जाने के बाद मुझे कोई काम भी तो नहीं रहता। कोई आस औलाद भी नहीं, जिसकी फरमाइश पर सर्दी की कोई खास डिश बनाऊँ, या कि स्कूल से लौटने के इंतज़ार में पल गिनती जाऊं, उनकी यूनिफार्म चेंज करूँ, खाना खिलाकर होमवर्क करवाऊं... जिंदगी के ये खुशनुमा पल ईश्वर ने मेरी तकदीर की किताब में लिखे ही नहीं। सब