चुपचाप

  • 4.7k
  • 1.3k

कहानीभोपाल एक्सप्रेस बड़ी रफ़्तार से पटरियों पर दौड़ी चली जा रही थी।ट्रैन के ए सी कोच में लेटी चालीस वर्ष की बेहद खूबसूरत गृहिणी वृंदा,जिसने अपना यौवन, लावण्य और देहयष्टि बड़े अतिरिक्त श्रम से संवारकर रखा था,ख्यालों में गुम थी।भोपाल एक्सप्रेस सुबह सुबह भोपाल पहुंच जाएगी।वह प्रमोद बंसल से मिलने जा रही थी।प्रमोद बंसल वह व्यक्ति था,व्यक्ति क्या उसके जीवन की धुरी था जिसके चौगिरदे वह बड़ी निष्ठा,प्रेम और आत्मविश्वास से भरी चक्कर लगा रही थी।प्रमोद बंसल वृंदा का पति वृंदा से एक वर्ष बड़ा था।इकतालीस का सुदर्शन युवक सुंदरता के मामले में वृंदा से इक्कीस पड़ता था।सुंदर होने के