मुख़बिर - 12

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बड़े भोर बागी जाग गये और लतिया कर हमे जगाने लगे । दिशा मैदान से फरागत होने के लिए उनने हम दो-दो आदमियों के पांव आपस में बांध कर साथ-साथ छोड़ा । पहले तो टट्टी के लिए बैठने में एक दूसरे से हम लोगों को खूब शरम लगी, फिर पेट का दबाब और शारीरिक जरूरत से मजबूर हो कर एक दूसरे से पीठ सटाकर हम लोग किसी तरह निवृत्त हुये ।