उस घर में एक दिन

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उस घर में एक दिन कैलाश बनवासी पहली बार ! सचमुच पहलीबार इतना बड़ा और इतना नामी शहर देख रहा था मैं. मेरी दीदी भी पहली दफे देख रही थी. शायद हर बड़े शहर का अपना एक अलग आकर्षण होता है! उसकी विशिष्टताओं की सूची किसी चुम्बक की तरह मन को खींचती है. हमारी तरह कस्बों में रहनेवालों के लिए यह और भी बढ़ जाता है. काला-कलूटा रिक्शेवाला अपनी हंडियल जिस्म की सारी ताकत लगाकर हमें खींच रहा था. सामने सड़क की चढ़ाई थी. डेविड चाचा – जो टीचर हैं और जिसकी अगुवाई में हम यहाँ आये हैं- इस शहर