राहबाज - 5

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रोजी की राह्गिरी (5) मन क्यूँ बहका मुझे नियोग करना था. इसके लिए मुझे किसी देवता का आव्हान करना होगा. लेकिन आज के इस युग में कोई देवता मुझे कहाँ मिलेगा? ये कैसे हो सकता था कि मुझे कोई वरदान मिले. मैं उस वरदान के चलते एक कोई मन्त्र पढ़ूं और कोई सूर्य जैसा कान्तिमान देवता आ कर मेरी कोख हरी कर जाए. मुझे तो इस कलियुग में मर्दों के बीच में से एक ऐसा मर्द ढूंढ निकालना था जो परायी स्त्री का उपभोग भी करे लेकिन उसके मन में कोई मलिन भाव न हो. एक ऐसा मर्द जिसके मन