कौन दिलों की जाने! - 4

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कौन दिलों की जाने! चार क्रिसमस से अगला दिन रानी ने सुबह उठकर जैसे ही बाहर का दरवाज़ा खोला तो देखा कि बाहर कोहरे की चादर फैली हुई थी। कोहरा इतना गहरा था कि सामने वाले घरों के खिड़की—दरवाज़े तक दिखाई न देते थे। स्ट्रीट लाईट्‌स की रोशनी सड़क तक भी नहीं पहुँच पा रही थी, ट्‌यूब—रोड के चार—पाँच फीट के घेरे में ही सिमट कर रह गई थी। चारों तरफ पूर्ण निस्तब्ध्ता छाई हुई थी, कहीं किसी पंछी तक का स्वर सुनाई नहीं देता था। छः बज चुके थे, फिर भी घुप्प अंधेरा था। रात टी.वी. पर दिखा रहे