कौन दिलों की जाने! - 5

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कौन दिलों की जाने! पाँच रमेश दिल्ली से रात को देर से आया था, इसलिये नौ बजे तक सोता रहा। उठते ही उसने रानी को कहा — ‘कल तुम्हें बताया था कि मैंने एक जरूरी मीटिंग अटैंड करनी है, इसलिये जल्दी जाना है। मैं तैयार होता हूँ, तुम नाश्ता और खाना बनाओ।' ‘मुझे याद है। आप तैयार होकर आइये, मैंने नाश्ता और खाना तैयार कर रखा है।' ‘वैरी गुड।' रमेश के ऑफिस जाने के बाद लच्छमी से जल्दी से घर के बाकी बचे काम करवा कर रानी ग्यारह बजे के लगभग आलोक के पास होटल पहुँच गई। कमरे में दाखिल