इस दश्‍त में एक शहर था - 4

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इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (4) इधर गजपति बाबू ने काम के लिए हाथ पैर मारना शुरू किए तो कुछ ट्यूशन कुछ दुकानों के हिसाब किताब का काम मिला तो घर का कुछ ठीकठाक होने लगा। उन्होंने अम्मा से सामने के मकानों और खोलियों के किराए का पूछा तो पता चला कि वे सबसे छोटे यानि त्रिलोकीनंदन यानि तिक्कू वसूल रहे हैं और मजे कर रहे हैं। उन्हे कुछ इसलिए नहीं बोला जा सकता था क्योंकि वे अम्मा के लड़ैते पूत थे और बाप को कुछ गिनते ही नहीं थे। तिक्कू डॅाक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे