कौन दिलों की जाने! - 7

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कौन दिलों की जाने! सात प्रथम जनवरी, नववर्ष का प्रथम प्रभात धुंध या कोहरे का कहीं नामो—निशान नहीं था, जैसा कि इस मौसम में प्रायः हुआ करता है। आकाश में कहीं—कहीं बादलों के छोटे—छोटे टुकड़े मँडरा रहे थे। ठंड भी बहुत कम थी। रमेश और रानी ‘न्यू ईयर ईव' का ज़श्न मनाकर रात को चाहे लगभग दो बजे आकर सोये थे, फिर भी रानी ने सदैव की भाँति समय पर उठकर नित्यकर्म निपटाये तथा स्नान कर पूजा की। तत्पश्चात्‌ सूर्य को जलार्पण करने के लिये लॉन में आई। सूर्य—देवता अभी दिखाई नहीं दे रहे थे, लेकिन पूर्व दिशा के क्षितिज