लुटलुटी

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राजबीर थानेदार जाति से जाट था।वह इंसानों और घटनाओं को जातीय खाँचे में फिट करके सोचने का आदी था।वह कोई सीधा थानेदार भर्ती नहीं हुआ था बल्कि कांस्टेबल से तरक्की पाकर पहले हवलदार,फिर ए एस आई,फिर सब इंस्पेक्टर और फिर तरक़्क़ी पाकर इंस्पेक्टर बना था।उसे अच्छी तरह से मालूम था कि तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने में जातीय समीकरण किस तरह से काम आते हैं।यदि मुख्यमंत्री जाट हो तो जाट जाति के लोगों,विशेषकर किसानों और कर्मचारियों के दैनिक व्यवहार में कितना अंतर आ जाता है।मुश्किल चीजें आसान हो जाती हैं।धीमे और अटक अटक कर चलने वाली सरकारी मशीनरी में जाति ग्रीस