कौन दिलों की जाने! - 8

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कौन दिलों की जाने! आठ सुबह की चाय का समय ही ऐसा समय था, जब रमेश और रानी कुछ समय इकट्ठे बैठते और बातचीत करते थे। लोहड़ी से तीन—चार दिन पूर्व प्रातःकालीन चाय पीते हुए रानी ने कहा — ‘रमेश जी, क्यों न इस बार लोहड़ी पर बच्चों को बुला लें। काफी समय हो गया उन्हें आये हुए।' ‘दिन में फोन करके पूछ लेना, अभी तो वे लोग सोये हुए होंगे। आ जायें तो अच्छा ही है। लोहड़ी पर घर में रौनक हो जायेगी, वरना तो क्लब में किटी पार्टी मेम्बर्स के साथ ही लोहड़ी मनेगी।' बड़ी बेटी अंजनि ने