लूज कैरेक्टर

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लूज कैरेक्टर जयंती रंगनाथन गनीमत... कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। हलका सा दरवाजा धकेल कर मैंने अपना सिर कुछ अंदर ले जाते हुए पाया, अंशुल बिस्तर पर बैठा अपने लैपटाप में मगन था। मैंने हल्का सा दरवाजा खटखटाया, अंशुल चौंक गया, ‘डैड, अंदर तो आइए। बाहर से ही...’ मैंने अपने आपको संयत किया और देर से दोहराया गया अपना डॉयलॉग उसके सामने उगल दिया, ‘अंशुल, लुक...तुम अपने लिए लड़की खुद ही देख लो। मुझसे नहीं होगा। इनफ…’ ‘क्या हुआ डैड? किसी से पंगा हो गया?’ ‘पंगा? नो...बस कह दिया ना। अर्रे आज के जमाने के लड़के हो। अपने बाप