आहुति

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आहुतिशिल्पी के दिल में धधकती आग इतनी तेज थी कि फायर प्लेस भी उससे हाथ ताप रहा था| फायर प्लेस से ज्यादा लपटे तो उंसके जीवन मे उठ रही थी। पता नहीं जो उसने किया वो उन लपटों पर पानी का काम करेगा या ऑक्सीजन का| इंतज़ार के इन बेचैन पलों में कोई उसका साथी था तो बस ये फायर प्लेस की आग|छोटे से हिल स्टेशन लैंसडाउन की सीधी सादी शिल्पी। देखा जाए तो एक ऐसा घर मिला था उसे कि उसकी सहेलियां भी उसके भाग्य से ईर्ष्या करें। एक सुदर्शन वैज्ञानिक पति, शहर के पॉश इलाके में सुंदर सा