बिट्टू का पापा

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अक्तूबर का आखिरी हफ़्ता, आज इतवार है।वह सुबह सुबह उठ बैठा है।ठंड लगती है सुबह,वह फिर भी पंखा बंद नहीं करता।पत्नी बगल में चादर ओढ़े लेटी है।वह लाइट जलाता है।पत्नी ने पूछा है,"क्या बजा है।"वह कोई जवाब नहीं देता।पत्नी करवट बदल फिर सो गई है।क्या बेगैरत जीवन है।उसने सोचा था,इससे अच्छा वह मर जाए।लेकिन उसकी बिटिया रानी बिट्टू बहुत रोएगी।एक वही है,जिसके लिए वह जीता है।अब वह यहाँ उसके साथ नहीं रहती।होस्टल रहती है।पी एच डी का आखिरी साल है।फिर उसकी शादी करेंगे।बिट्टू ने यही कहा है।बिट्टू की शादी हो जाए तो वह चैन से मर सकेगा।बिट्टू अपने पति के