कौन दिलों की जाने! - 18

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कौन दिलों की जाने! अठारह तीसरे दिन विनय अपनी दीदी के घर था। रानी को उसका आना अच्छा तो लगा, किन्तु थोड़ा आश्चर्य भी हुआ, क्योंकि विनय ने अपने आने के सम्बन्ध में कोई पूर्व सूचना नहीं दी थी। विनय ने सोचा था कि जब जीजा जी ने जरूरी बात करने के लिये बुलाया है तो रानी को तो अवश्य ही बताया होगा। इसीलिये उसने अलग से रानी को सूचना देनी आवष्यक नहीं समझी थी। जब विनय घर पहुँचा तो रमेश ऑफिस जा चुका था। रानी — ‘विनय, बिना किसी सूचना के अचानक कैसे आना हुआ?' ‘जीजा जी ने फोन