कुत्ता कहीं का

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कुत्ता कहीं कावह बार-बार “हट! हट!” करती जा रही थी, लेकिन वह लगातार उसके पीछे-पीछे चल रहा था। कालोनी की इस सड़क पर काफी अँधेरा था, सो अब तो राधिका को डर लगने लगा था। उसने अपनी चाल तेज कर दी। तभी कुत्ते ने उसके आँचल के छोर को अपने मुँह में भर लिया। राधिका की चीख निकल गयी लेकिन संयोग से तब तक घर आ गया था। उसने झपट कर गेट के अंदर घुस कर गेट बंद कर दिया ओर चैन की साँस ली |"उफ़ कुत्ता कहीं का...! इनके कारण तो रात के खाने के बाद सैर भी नहीं