ततइया - 1

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ततइया (1) शन्नो बारिन कमर के नीचे चाँदी की चौड़ी करधनी कसे अलता लगे पैरों में पड़ी पायल की मधुर लय के संग जब बाल्टी उठाए गुजरिया बनी म्यूनिस्पैलिटी के नल पर पहुँचती तो घूँघट में छिपे उसके मुख और हाथों में पड़ी लाल-हरी चूड़ियाँ देख बुजुर्ग औरतों को अपने दिन याद आ जाते। घर के सामने बैठी दोना बनाती यु)वीर बारी की माँ एकटक उसी को निहारती हो ऐसा नहीं था, मगर हरे-हरे पत्तों की अंजुली में तिनका खोंसकरजब वह उन्हें सामने डालती तो अपने आप नज़रें पल-भर के लिए बहू पर जा टिकतीं। आँखों में संतोष-भरी खुशी का