मकसद

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“क्या बताऊं, कैसे समझाऊं तुमको. कुछ सुनती ही नहीं तो समझोगी कैसे अनन्या”, भुनभुनाता हुआ प्रसनजीत अपना मोबाइल उसके हाथ से लेकर बाहर निकल आया. गुस्से में प्रसनजीत घर से निकल गया. क्या उसे इतना भी अधिकार नहीं था कि वह अपने पति के किसी पर-स्त्री से निकट संबंधों के विषय में पूछने का साहस कर सके? उसकी सासू माँ भी आ गई थी. वह उल्टे उसे ही नसीहत दे रही थी कि, “कितनी बार समझाया… ज्यादा बंधन में न रखा कर उसे. मर्द है. थोड़ा बहुत भटकते हैं सभी, आदत होती है उनकी इधर-उधर मुंह मारने की, पर