तुम लोग कहानी पंकज सुबीर ‘‘लाहौल विला कुव्वत, पंडत तुमसे तो कोई बात भी करना फ़िज़ूल है। एसा लगता है मानो ज़माने भर के सारे पत्थर तुम्हारी अकल पर ही पड़े गए हों।’’ अज़ीज़ फ़ारूक़ी ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा। आज फिर दोनों उलझे बैठे हैं। वैसे ये कोई नई बात है