योगिनी - 8

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योगिनी 8 उस सायं योगिनी ने माइक के प्रस्ताव का कोई सीधा उत्तर नहीं दिया था। रात्रि में वह तरह तरह के विचारों में डूबी रही थी। वह आश्चर्य में पड़कर सोचती कि क्या सचमुच ऐसा संसार सम्भव है जिसमें पौरुषेय अहम् न हो, स्त्रियों की पुरुष पर पराधीनता न हो, एवं पुरुषों के संसार की भांति मनुष्य मनुष्य में मारकाट न हो? आज उसे अपने उस पति को बैयरा के रूप में अपनी आंखों से देखने की उत्कंठा भी जाग्रत हो रही थी, जो अपने हाथ से लेकर पानी भी नहीं पीता था। दूसरी सायं योगिनी ने माइक से