दो अजनबी और वो आवाज़ - 12

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दो अजनबी और वो आवाज़ भाग-12 इस सब से तो अच्छा है, मैं चाहे इस बच्चे के साथ जीऊँ या अकेले, पर शादी कर के बंधनों में बंधने और किसी के एहसानों तले दबने से अच्छा है। मैं स्वच्छंद ही रहूँ। मैंने मन ही मन यह निश्चय किया कि मैं शादी नहीं करूंगी। जो भी होगा आगे देखा जाएगा। अभी फिलहाल मुझे आज में जीना है। ऐसा सोचते हुए मैंने वापस अपने काम में ध्यान लगाना शुरू किया। एक दिन में मछली की टोकरी लिए दर दर भटक रही हूँ और शायद मेरी ऐसी हालात देखकर लोग मछली ले भी