दो अजनबी और वो आवाज़ - 15 - अंतिम भाग

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दो अजनबी और वो आवाज़ भाग-15 तुम्हें ऐसा इसलिए लग रहा है कि तुम्हें कुछ याद नहीं है। लेकिन अब मैं तुम्हें कैसे याद दिलाऊँ की हम कौन है हम “दो अजनबी” नहीं है प्रिय...हम तो दो जिस्म एक जान है। इसलिए में एक आवाज़ हूँ...और तुम मेरा शरीर हो...इससे अधिक अब मैं और क्या कहूँ...कहते हुए वह आवाज़ मुझसे दूर होती हुई कहीं गुम हो गयी। उस जाती हुई आवाज ने मेरे दिमाग में एक हलचल सी पैदा कर दी। मेरी सारी अब तक की ज़िंदगी का जैसे कोई फ्लैश बॅक सा चला दिया। एक-एक कर के मेरी नज़रों