योगिनी - 14

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योगिनी 14 योगी भुवन चंद्र आदि-कैलाश से वापस मानिला /मल्ला/ मंदिर आकर प्रसन्न है। योगिनी मीता के पिछली बार की तरह अमेरिका चले जाने की उसकी आशंका निर्मूल सिद्ध हुई है। एक तारों भरी रात्रि में योगिनी मीता के साथ एक दूसरे के हृदय में व्याप्त मिथ्या आशंकाओं एवं धारणाओं के विषय में खुली बात हो जाने से उन दोनों के मन में उद्भूत कलुष धुल गया है। इस कलुष से युगल के मन में उत्पन्न अवगुंठन द्वारा निर्मित बांध टूटकर बह गया है एवं वे प्रेमीद्वय हिम-शिखर से प्रवाहित उच्छंृखल जलधारा की भांति व्याकुल होकर एक दूसरे का संग